नरोरा घाट पर बनी दुकानों पर प्रशासन का चला बुलडोजर

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नरोरा में विगत दिन गांधीघाट पर प्रशासन द्वारा दर्जनों गरीब बेसहारा लोगों की दुकानों को बुलडोजर द्वारा तहस नहस कर दिया*
राकेश वार्ष्णेय,वरिष्ठ पत्रकार/डिबाई । प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्षों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे चाय ,पूजा आदि की सामग्री बेचना उनको भारी पड़ गया ।
जिस प्रकार से प्रशासन द्वारा उनकी रोजी रोटी को उजाड़ दिया गया वे पूछते हैं कि उनका आखिर कसूर क्या था?
मुफ्त में नहीं चला रहे थे  अपनी रोजी को ! उनका कहना है कि नियमित उगाही की जाती रही है
अगर यह गैरकानूनी था तो उनको वहाँ  अपनी दुकान चलाने का पैसा क्यों लिया जाता था ?
नगर पंचायत , सिंचाई विभाग ,पुलिस प्रशासन यहाँ तक कि तहसील एवम् जिला प्रशासन की जानकारी में ये सब कुछ था , ये सभी वहाँ से निकलते थे ! इन छोटे दुकानदारों को क्यों पनपने दिया गया वहाँ ?यदि उन्हें तभी रोक दिया जाता तो वे लोग कुछ अन्य रोजी का साधन ढूंढते !
ऐसे अनेकों प्रश्न हैं जिनसे इन गरीब दुकानदरों का कोई कसूर नजर नहीं आता है !
गत 11तारीख को  सोते हुए सात लोगों की बस से कुचल कर मृत्यु हो जाने से प्रशासन में हड़कंप मचा तो गाज गिरी इन गरीब दुकानदारों पर! इनको वहाँ से अपना सामान आदि को हटाने का समय तक नहीं दिया गया । क्या लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत इन दुकानदारों पर कोई क़ानूनी कार्यवाही की गयी ?
जिन कारणों से सात लोग कुचले गए क्या इसकी जांच पूर्ण हुई ? और वास्तविक गुनाहगारों को छोड़ कर  इन दुकानदारों पर बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने अपनी नाकामयाबी का ठीकरा इन गरीबो के सर पर फोड़ दिया !
यहाँ उच्च प्रशासन से यह  गुहार लगा रहे हैं ये गरीब दुकानदारों के लिए  पुनर्वास की शीघ्र व्यवस्था की जायें।
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नरोरा में विगत दिन गांधीघाट पर प्रशासन द्वारा दर्जनों गरीब बेसहारा लोगों की दुकानों को बुलडोजर द्वारा तहस नहस कर दिया
राकेश वार्ष्णेय,वरिष्ठ पत्रकार/डिबाई । प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्षों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे चाय ,पूजा आदि की सामग्री बेचना उनको भारी पड़ गया ।
जिस प्रकार से प्रशासन द्वारा उनकी रोजी रोटी को उजाड़ दिया गया वे पूछते हैं कि उनका आखिर कसूर क्या था?
मुफ्त में नहीं चला रहे थे  अपनी रोजी को ! उनका कहना है कि नियमित उगाही की जाती रही है
अगर यह गैरकानूनी था तो उनको वहाँ  अपनी दुकान चलाने का पैसा क्यों लिया जाता था ?
नगर पंचायत , सिंचाई विभाग ,पुलिस प्रशासन यहाँ तक कि तहसील एवम् जिला प्रशासन की जानकारी में ये सब कुछ था , ये सभी वहाँ से निकलते थे ! इन छोटे दुकानदारों को क्यों पनपने दिया गया वहाँ ?यदि उन्हें तभी रोक दिया जाता तो वे लोग कुछ अन्य रोजी का साधन ढूंढते !
ऐसे अनेकों प्रश्न हैं जिनसे इन गरीब दुकानदरों का कोई कसूर नजर नहीं आता है !
गत 11तारीख को  सोते हुए सात लोगों की बस से कुचल कर मृत्यु हो जाने से प्रशासन में हड़कंप मचा तो गाज गिरी इन गरीब दुकानदारों पर! इनको वहाँ से अपना सामान आदि को हटाने का समय तक नहीं दिया गया । क्या लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के अंतर्गत इन दुकानदारों पर कोई क़ानूनी कार्यवाही की गयी ?
जिन कारणों से सात लोग कुचले गए क्या इसकी जांच पूर्ण हुई ? और वास्तविक गुनाहगारों को छोड़ कर  इन दुकानदारों पर बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने अपनी नाकामयाबी का ठीकरा इन गरीबो के सर पर फोड़ दिया !
यहाँ उच्च प्रशासन से यह  गुहार लगा रहे हैं ये गरीब दुकानदारों के लिए  पुनर्वास की शीघ्र व्यवस्था की जायें।

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